साक्षरता

मैं छुटकी 
प्रातः उठ जाती 
माँ घर का कम करती 
मैं माँ का हाथ बटाती । 

जब माँ बाजार जाती 
मुझे भी साथ ले जाती 
मैं बच्चो को पढ़ते देखती 
उनको स्कुल आते जाते देखती । 

पड़ोस के बच्चो को स्कुल जाते देखा  
उनको पढ़ते हुए देखा 
उनको आगे बढ़ते हुए देखा 
पढ़ के लक्ष्य को हसील करते देखा । 

मुझे भी पढ़ने कि इच्छा होती 
पर, थोड़ी सी कमाई बापू की 
माँ कहा से स्कुल भेज पाती 
मैं, स्कुल नही जा पाती । 

एक दिन, गली में लोगो का शोर सुना 
मैं तबके से बहार निकली 
लोग नारे लगा रहे थे..... 
आधी रोटी खायेंगे, फिर भी स्कुल जायेंगे । 

मैं उनमे से एक से पूछ बैठी 
क्या है, ये क्यों है भैया जी 
भैया जी ने बताया - बिटिया पढ़ती जाये, आगे बढ़ती जाए 
सरकार मुक्त सेवा प्रदान कर रही है । 

तभी दूसरा समूह निकला 
नारे लगाये - शिक्षा हमारा जन्म सिध्द अधिकार है 
मैंने मन ही मन ठान लिया 
मैं भी पड़ने जाउगी , मैं भी पड़ने जाउगी । 


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